दिल के परदों मे जो बंद है,
स्मृति का खज़ाना .......
मेरा है सिर्फ मेरा .....
माफ करो नहीं बाँट सकती ,
खुदगर्ज़ ...स्वार्थी या मतलबी ,
जो भी कहो ...कुछ भी कहो ,
फरवरी की धूप सा .....
हल्का .... सौंधा ...कुनकुना ...
लपेट लेता है मुझे ,
तेरी बाहों की गर्माहट सा........
स्मृति का खज़ाना .......
मेरा है सिर्फ मेरा .....
माफ करो नहीं बाँट सकती ,
खुदगर्ज़ ...स्वार्थी या मतलबी ,
जो भी कहो ...कुछ भी कहो ,
फरवरी की धूप सा .....
हल्का .... सौंधा ...कुनकुना ...
लपेट लेता है मुझे ,
तेरी बाहों की गर्माहट सा........