Monday, June 3, 2013

यह नीली - हरी नस

यह नीली - हरी नस , 
उभर आयी ---- सर्पीली नागिन सी - 
उकेरी उन लम्हों की बिखती दास्तां ,
अपनी यादों की स्याही से ... 
यादों का क्या है,
बिन सोचे - समझे यूं ही रिस आती है ,
न देखे वक्त न औकात ,
मनमानी करती हठीले बालक -सी ,
धक्कम - धक्का , देखो कहीं कोई रह न जाए पीछे ,
हर पल तेरे साथ का सिमरन ,
ख्द्बदता रहता है दिल के कड़ाहे मे ,
अनवरत - निरंतर - लगातार -
क्रियाशील -ज्वलंत ज्वालामुखी सा ...