चूल्हे मे लकड़ी सी जलती ,
पतीली मे दाल सी गलती,
चक्की मे दानो सी पिसती ,
टाइप रायटर मे रिबन सी घिसती ,
मै ही तो हूँ . सब और , हर तरफ .
सड़क पर पत्थर सी कुटती,
घर पर फर्नीचर सी सजती ,
कुएं पर काई सी जमती .
मै ही तो हूँ , सब और , हर तरफ .
खुद की तालाश मे , खुद को खोजती ,
ख़ामोशी मे शब्दों को तलाशती ,
भीड़ मे अकेलेपन को निहारती ,
अजनबी में किसीको सहराती .
मै ही तो हूँ , सब और , हर तरफ .
इति