राधिया आज बड़ी ही खुस थी ,
ब्याह की बात है चल रही ,
सुना है तेरा वो ,
रहता है सहर मा,
तेरी तो मौज ही मौज है ,
ऊंची - ऊंची बिल्डिंग ,
लंबी - चौड़ी सड़कें ,
तेज दौड़ती मोटर - कार ,
तू तो हम सबका भूल जाएगी ॥
अरे , आएसा का क़हत हो ,
तुम लोग सब भी आना ,
घूमेगे - फिरेंगे , एस करेंगे ,
और का ...फिस्स से हँस दी ,
मन ही मन ताजमहल बुन रही थी ॥
ठूंस - ठांस , धँसती जब पहुँची,
घसटती सी , मारे बदबू फटी नाक ,
गंदगी का ढेर , नंग - धड़ंग बच्चे ,
गाली- गलौज और दमघोंटू हवा ,
ये कहाँ ले आया , गोपाला मुझे ॥
कहाँ गयी वो सपनों की बातें ,
लाज औ संकोच से धीरे से बुदबुदाई ,
यही है का मुंबई नागरी ,
हम तो कछु और ही सुने थे ,
अपना गाँव के सामने तो कुछ भी नहीं ॥
पगली ,यही है अब सपने की नगरी,
वो देख सामने तेरा ताज ,
मै शाहजहाँ ,तू मेरी मुमताज़ ,
टेड़े - मेड़े - आड़े- तिरछे ,
फट्टों की दीवार पर ,
टीन की फड़फाड़ती छत ,
मुस्कराई और बोली
अब से यही है मेरे सपनों का ताजमहल ,
तू मेरा शाहजहाँ , मै तेरी मुमताज़ ...