Monday, June 27, 2011

बावरी सी बूंद

बावरी सी बूंद एक
टप से माथे पर गिरी
चूम कर पलकों को
गाल छूने को चली
पल भर ठिठकी
कुछ भरमाई
एकरस हो
नयनरस से
घुल गयी अब
फिजा में ......