अब समझ सकती हूँ ,
कैसे विदा किया होगा ,
अपने दिल के टुकड़े को,
कैसे जुदा किया होगा |
जीवन जीने की कला ,
सदा मुस्कुराने की अदा ,
तुम से ही तो पाई है |
आपके आशीष ने ,
हर राह सरल बनायीं है |
छुप गए हो उन तारों के बीच ,
जो कभी तुमने मुझे दिखलाये थे |
जानती हूँ तुम हो यहीं - कहीं ,
मेरे हमेशा आस - पास | |
किस्मत है मेरी की आप बने मेरे पिता,
मेरी बुनियाद , संस्कार और मान्यता .....