करके तुम्हें अपना सर्वस्व समर्पण ,
रह गया कोरे कागज़ सा मन |
न कालिख, न दाग ...
न हर्ष , न विषाद ...
न द्वेष , न क्लेश ....
तुम्हारे प्रेम से परिपूर्ण एक नाज़ुक दर्पण |
न दिन , न रात ...
न धूप , न बरसात ....
न जड़ , न चेतन ....
तुम्हारी यादों की खुशबू से
महका - महका जीवन .....!!