पलकों की चिलमन से निकल कर ,
गालों की सेज पर ठहर गया ...
तेरी याद में अटका आसूँ,
रुकते - रुकते भी बह गया .....
दिल में दर्द है यह प्यार का मीठा सा ज़रा ,
ज़माने कि हवा लगते ही खारा कैसे हो गया ..........
गालों की सेज पर ठहर गया ...
तेरी याद में अटका आसूँ,
रुकते - रुकते भी बह गया .....
दिल में दर्द है यह प्यार का मीठा सा ज़रा ,
ज़माने कि हवा लगते ही खारा कैसे हो गया ..........