Sunday, March 20, 2011

आज चाँद

अम्बर पर धीरे - धीरे सरकता चाँद ,
मेरे घर के आंगन मे आ गया ,
अंजुरी जो बनायीं हाथों की ,
तो मेरे और भी करीब आ गया ,
चांदनी में भीगे मेरे सपने ,
आँखों मे जुगनू बन चमकने लगे |
पत्तों से झरती झर - झर किरणें ,
घुलकर सांसों में बहने लगी ,
सर्द - तूफानी एकाकी  रातों मे,
तेरी चाहत की गर्माहट भरने लगी |