अब समझ सकती हूँ ,
कैसे विदा किया होगा ,
अपने दिल के टुकड़े को,
कैसे जुदा किया होगा |
जीवन जीने की कला ,
सदा मुस्कुराने की अदा ,
तुम से ही तो पाई है |
आपके आशीष ने ,
हर राह सरल बनायीं है |
छुप गए हो उन तारों के बीच ,
जो कभी तुमने मुझे दिखलाये थे |
जानती हूँ तुम हो यहीं - कहीं ,
मेरे हमेशा आस - पास | |
किस्मत है मेरी की आप बने मेरे पिता,
मेरी बुनियाद , संस्कार और मान्यता .....
very nice....dil ko chu gayi....god bless u
ReplyDeleteShukriya...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......पिता का दर्जा बहुत ऊँचा है |
ReplyDeleteभावुक कर देने वाली अभिव्यक्ति| पिता का दर्जा बहुत ऊँचा है |
ReplyDeleteपिता का दर्जा बहुत ऊँचा है |
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप.
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कल 28/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
Shukriyaa.
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत.....इतने प्यारे एहसास....
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