Saturday, January 29, 2011

तुम न समझे

तुम न समझे
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो  ,
तुम मुझे ..............|
मेरे सतरंगी ख्वाबों की हकीकत हो तुम ,
मेरे लरजते होठों की इबादत हो तुम ,
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो ,
तुम मुझे ...............|
मेरी झिलमिलाती कल्पना की सच्चाई हो तुम ,
मेरी अनकही कविता की गहराई हो तुम ,
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो ,
तुम मुझे ................|
मेरी हर करवट की सरसराहट हो तुम ,
मेरी अधसोई  रात की खुमारी हो तुम ,
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो ,
तुम मुझे ................|
मेरी अलसाई सुबह की अंगड़ाई हो तुम ,
मेरी बौराई शाम की मदहोशी हो तुम ,
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो ,
तुम मुझे ....................|
मेरी मदमस्त पलकों की शबनम हो तुम ,
मेरे गुम हुए दिल की धड़कन हो तुम ,
तुम कभी न समझे ,
कैसे छू गए हो ,
तुम मुझे ....................|

3 comments:

  1. अहसास शब्दों में ढल रहे हैं ...बढ़िया

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  2. सुभानाल्लाह.....प्यार की नाज़ुकी को समेटे ये पोस्ट रूह की गहरे तक पहुँचती है ......आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ .....बहुत अच्छा लगा......

    आगे भी साथ बना रहे इसलिए आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ......शुभकामनायें|

    कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)

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    एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|

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  3. zarur....bahut bahut shukriya.....

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