Monday, December 20, 2010

nadi si


तुमसे जब भी बात करती हूँ ,
उतर आती है नदी मेरी आँखों में ,
तुम्हारे स्वरों की लहरों में ,
डूबती - उतरती - बहती हूँ ,
कभी तेज , कभी मंथर ,
...गोल - गोल भंवर सी ,
इतराती - बलखाती - अल्हड़,
समा जाती हूँ तुम्हारी आँखों के समुद्र में ,
तुम भी साथ - साथ बहते - बहते ,
मुझे भर कर बाहों में हर बार ,
विलीन हो जाते हो प्रियतम बार - बार |

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